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बॉलीवुड के बेजोड़ खलनायक
News Date:- 2024-06-07
बॉलीवुड के बेजोड़ खलनायक

लखनऊ,07 Jun 2024

बॉलीवुड के बेजोड़ खलनायक

ऐसे खूंखार बॉलीवुड खलनायक, जिनकी खलनायिकी का डंका आज तक बजता है। फिल्मी दुनिया में ये खलनायक आये तो हीरो बनने की ख्वाहिश लिए लेकिन बन गए विलेन। अक्सर फिल्मों में देखा गया है कि जितना महत्व एक हीरो का होता है उतना ही एक खलनायक का भी होता है। खलनायक का नाम ही आते ही दर्शकों के ज़हन में एक ऐसा किरदार आता है जिससे सब नफरत करें। 

बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों में एक से बढ़कर एक विलेन हुए जिन्होंने अपनी दमदार परफॉर्मेंस से फिल्म के हीरो तक को फेल कर दिया। हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई प्रतिभावान खलनायक हुये जिन्होंने बेजोड़ अभिनय के दम पर अपने खलनायकी के किरदार में जान डाल दी। आज हम आपको फ़िल्मी दुनिया के एक से बढ़कर एक खलनायकों के बारे में बतायेंगे।

 

70 और 80 दशक में विलेन बनकर भी लोगों के दिलों पर राज करने वाले हरफनमौला कलाकार शक्ति कपूर जिन्हें बॉलीवुड का बैड ब्वॉय कहा जाता है। शक्ति कपूर की सुपरहिट फिल्म 'तोहफा' में डायलॉग 'आउ लोलिता'  इतना पॉपुलर हुआ कि स्कूल, कॉलेज के छात्रों के बीच यह एक ट्रेंड बन गया। शक्ति बॉलीवुड के लीडिंग विलेन के रूप में जाने जाते हैं।

अपने जमाने के मशहूर खलनायक रंजीत जिन्होनें अपने फिल्मी करियर में 200 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया। आखिरी बार उन्हें साल 2012 में फिल्म 'हाउसफुल2' में देखा गया था। साल 2021 में रंजीत ने कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में हंसी ठहाकों के साथ दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था।

'प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा' ये डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर है। प्रेम चोपड़ा को 'विलेन का बाप' कहा जाता था। बॉलीवुड के प्रमुख अभिनेताओं में से एक प्रेम चोपड़ा अपनी नकारात्मक भूमिकाओं के लिए लोकप्रिय हैं। अपने छह दशक के लंबे करियर में उन्होंने 380 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। भले ही वह विलेन के रूप में अधिक पॉपुलर रहे लेकिन 1998 में आई फिल्म दुल्हे राजा में उन्होंने कॉमेडियन का किरदार भी निभाया है।

प्यार को नाकामयाब करने में अगर किसी विलेन को याद किया जाता है तो सबसे पहला नाम आता है दलीप ताहिल का। दलीप ताहिल को ‘बाजीगर’, ‘राजा’, ‘इश्क’, ‘कयामत से. कमायत’ तक में विलेन का किरदार निभाते देखा गया है। आखिरी बार यह फिल्म 'मेरे देश की धरती' में देखे गए।

गुलशन ग्रोवर की पहचान बॉलीवुड में 'बैडमैन' के नाम से है। अक्सर फिल्मों में 'बैडमैन' कभी हीरोइन तो कभी हीरो की बहन से छेड़-छाड़ करते नज़र आये। साल 1980 से अबतक गुलशन ग्रोवर ने करीब 400 से ज्यादा फिल्में में अपनी खलनायकी का लोहा मनवाया। आखिरी बार इन्हें रोहित शेट्टी की फिल्म 'सूर्यवंशी' में देखा गया था।

मैक मोहन मुम्बई क्रिकेटर बनने आए थे लेकिन किस्मत ने उन्हें विलेन बनाकर छोड़ा। शोले, सत्ते पे सत्ता और कर्ज जैसी सफल फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाने वाले मैक मोहन ने अपने अभिनय के दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया था। हालांकि आज वह इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन फिल्मों में निभाए अपने बेहतरीन किरदार के दम पर फैन्स के दिलों में वह आज भी ज़िदा हैं।

फिल्म 'शोले' के गब्बर को भला कौन भूल सकता है। अ‍मज़द खान ने 30 साल से ज्‍यादा समय फिल्म इंडस्‍ट्री में गुजारा। उन्‍होंने अधिकतर विलेन की भूमिकाएं ही निभाईं। 1975 में आई शोले फिल्‍म के गब्‍बर सिंह के किरदार ने उन्‍हें अमर बना दिया। जय और वीरू की जोड़ी के साथ गब्बर भी खूब मशहूर हुए। "ऐ साम्भा ! कितने आदमी थे?" उंनका ये डायलॉग खूब पॉपुलर हुआ। हालांकि साल 1992 में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।

अमरीश पुरी आज बॉलीवुड में नहीं हैं लेकिन उनके जैसा विलेन मिलना गौरव की बात है। उनकी सादगी लोगों का दिल जीत लिया करती थी। शेखर कपूर की फिल्‍म मिस्‍टर इंडिया में मुगैम्‍बो की भूमिका में अमरीश पुरी ने अमिट छाप छोड़ी। 'मोगैंबो खुश हुआ' यह डायलॉग 80-90 के दशक में यंगस्टर्स की जुबां पर चढ़ा हुआ था। बॉलीवुड के सबसे सफल खलनायकों में अमरीश पुरी का नाम शुमार है। विलेन के अपने किरदार से बड़े से बड़े हीरो की बड़े पर्दे पर छुट्टी की। लेकिन अफ़सोस साल 2005 में ब्रेन ट्यूमर के कारण अमरीश पुरी सिने जगत को अलविदा कह गए।

एक ज़माने में बेहतरीन स्टंटमैन और विलेन का किरदार निभाने वाले एम बी शेट्टी ने ऐसा कॉम्पटीशन पैदा किया कि विलेन का रोल प्ले करने वाले बाकी एक्टर भी डर गए। एम बी शेट्टी ने अपने करियर की शुरुआत फाइट इंस्ट्रक्टर के तौर पर की। इसके बाद वो एक्शन डायरेक्टर बने और फिर एक्टर। एम बी शेट्टी जैसा एक्टर और स्टंट मास्टर ना तो कभी हुआ और ना ही कभी होगा। एम बी शेट्टी के बेटे रोहित शेट्टी बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर हैं।

प्राण को भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में से एक माना जाता है। अपने फिल्मी सफर में आधे से ज्यादा नेगेटिव रोल किये। अपने शानदार अभिनय और एक्टिंग स्टाइल के कारण वे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खलनायकों के बादशाह बन गए। छह दशक लंबे फ़िल्मी करियर में प्राण ने 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और चार फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त किए।

 

भारतीय सिनेमा के इतिहास के ऐसे और भी कई फिल्मी कलाकार हुए जो हीरो भले न बन पाए हों लेकिन खलनायक बन बॉलीवुड में एक ख़ास पहचान बनायी। खलनायक की भूमिका अदा कर अपने किरदार में ऐसी जान डाल देते थे कि लोग वास्तविक जीवन में भी उनसे डर जाते थे। इनमें से कई ने तो बतौर नायक अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी।

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