
कौन सी धातु का बर्तन है आपके भोजन के लिए बेहतर: जानिए फायदे और नुकसान
बर्तन केवल भोजन पकाने या खाने का माध्यम नहीं होते बल्कि उनमें भोजन के साथ कुछ विशेष गुण भी समाहित होते हैं. धातु के बर्तनों में खाना खाने और पकाने का इतिहास सदियों पुराना है. अलग-अलग धातु के बर्तनों का अपना महत्व होता है और हमारे स्वास्थ्य पर इनका अलग-अलग प्रभाव भी होता है जो हमारी सेहत पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
खाना पकाने और खाने के बर्तनों का चुनाव स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. आज आधुनिकता और सुविधा के चलते अपने पारंपरिक बर्तनों को छोड़कर हम हानिकारक धातु के बर्तनों की और आकृष्ट होते जा रहे हैं और बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं.
धातु के बर्तनों के स्वास्थ्य लाभ और हानियां
विभिन्न धातुओं के बर्तनों में खाना बनाने और खाने के फायदे तथा नुकसान होते हैं. आज के आलेख में कुछ प्रमुख धातुओं के बर्तनों में भोजन पकाने और खाने से मिलने वाले लाभ और हानियों के बारे में जानेंगे.
स्वर्ण के पात्र
स्वर्ण यानि सोना गर्म धातु मानी जाती है. सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के भीतरी और बाह्य हिस्से कठोर तथा मजबूत होते हैं साथ ही सोना आँखों की रोशनी भी बढ़ाता है. पुराने समय में हमारे पूर्वज स्वर्ण के पात्र में भोजन करते थे. मगर आज सोने के बर्तनों का उपयोग दुर्लभ है. लेकिन सर्दियों में सोने की अंगूठी या कोई अन्य आभूषण भोजन पकाते समय सब्जी में डालने से इसके गुण प्राप्त किए जा सकते हैं.
चांदी के बर्तन
चांदी एक ठंडी धातु है जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है. गर्मियों में विशेष रूप से इसका उपयोग फायदेमंद माना जाता है. चांदी के बर्तन में रखा हुआ पानी एंटीबैक्टीरियल होता है. बच्चों को चांदी की कटोरी में भोजन खिलाने से उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है. इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से बुद्धि तेज होती है, आँखें स्वस्थ रहती हैं इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष नियंत्रित रहता है. लिवर संबंधी बीमारियों में भी चांदी के बर्तनों का प्रयोग लाभदायक माना गया है.
कांस्य के बर्तन
कांसा प्राचीन काल से सर्वश्रेष्ठ माने गए बर्तनों में से एक है. इसमें भोजन करने से बुद्धि तीव्र होती है और रक्त शुद्ध होता है. लेकिन कांसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए क्योंकि इससे भोजन के गुण प्रभावित हो सकते हैं. खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान पहुंचाती हैं.
ताम्र पात्र
ताम्र पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है. यह शरीर के विषैले तत्वों को समाप्त करता है और व्यक्ति को रोग मुक्त बनाता है. ताम्र पात्र में रखा पानी पीने से स्मरण-शक्ति बढ़ती है. तांबे के बर्तन शरीर से विषैले तत्व को निकालते हैं. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है. तांबे के बर्तन में रखा पानी मोटापा घटाने में मददगार होता है.
पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने से खाने के अधिकतर पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं. इन बर्तनों में भोजन करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष जैसी बीमारी का ख़तरा नहीं होता. पीतल के बर्तन में खाना बनाने से सात प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं. हालांकि पीतल के बर्तनों में कलई करवाना जरूरी होता है.
लोहे के बर्तन
शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए लोहे के बर्तन में भोजन बनाना श्रेयस्कर माना गया है. लोहे के बर्तन में भोजन पकाने से शरीर की शक्ति बढती है, पांडू रोग नहीं होता, कामला रोग दूर करता है. लेकिन इन बर्तनों में खाना नहीं खाना चाहिए. इस पात्र में खाना खाने से बुद्धि का नाश होता है. लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा माना गया है.
स्टील के बर्तन
आजकल आम तौर पर स्टील के बर्तन उपयोग किए जाते हैं. हालांकि भोजन बनाने और खाने के लिए स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना तो गर्म भोजन के साथ क्रिया करते हैं और ना ही अम्ल से. इसलिए शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं होता. स्टील के बर्तनों में खाना बनाते समय जलने की संभावना अधिक होती है इसलिए इनमें तांबे या एल्युमिनियम की कोटिंग की जाती है.
एल्युमिनियम के बर्तन
एल्युमिनियम के बर्तन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक माने गये हैं. एल्युमिनियम बोक्साईट का बना होता है. इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान ही होता है. यह शरीर से आयरन और कैल्शियम सोख लेता है जिससे शरीर कमजोर हो सकता है. इसके साथ ही एल्युमिनियम के बर्तनों में भोजन पकाने से अधिकतर पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं यहाँ तक कि लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति भी पहुंच सकती है. कई शोध में पाया गया है कि एल्युमिनियम के प्रेशर कूकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं.
मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के बर्तनों में धीमी आँच पर पका हुआ भोजन स्वादिष्ट और पौष्टिक तो होता ही है साथ ही भोजन के पोषक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं. वैज्ञानिक भी इस को साबित कर चुके हैं कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक हो जाते हैं. दूध और दही जैसे उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं मिट्टी के बर्तन. इनमें भोजन पकाने से सम्पूर्ण पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है और यदि मिट्टी के बर्तनों में खाना खाया जाए तो स्वाद का अलग ही आनंद प्राप्त होता है. गर्मियों में मिट्टी के घड़े का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है.
धातु के बर्तनों का सही चुनाव
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने भोजन और पानी के लिए सही धातु के बर्तनों का चुनाव करें. जहाँ एक ओर कुछ धातुएँ जैसे सोना, चांदी और तांबा शरीर के लिए लाभकारी होते हैं वहीं दूसरी ओर एल्युमिनियम के बर्तन नुकसान पहुँचा सकते हैं. इसलिए हमें अपने भोजन और बर्तनों की गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए ताकि हम स्वस्थ और निरोगी रह सकें.
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