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दादा मुनि अशोक कुमार के रॉबिनहुड पूर्वज
News Date:- 2024-07-15
दादा मुनि अशोक कुमार के रॉबिनहुड पूर्वज
vaishali jauhari

लखनऊ,15 Jul 2024

63 साल तक किया फिल्मी दुनिया में काम. लेकिन क्या आप जानते हैं इनके पूर्वज थे रॉबिनहुड?

अशोक कुमार, जिन्हें प्यार से दादा मुनि कहकर पुकारा जाता था. हिंदी सिनेमा के एक दिग्गज कलाकार थे. 63 साल तक उन्होंने फिल्मी दुनिया में काम किया और दर्शकों का मनोरंजन करते रहे. 1934 से 1997 तक अशोक कुमार ने ढेर सारी हिट फिल्में सिने जगत को दीं. उस वक्त के सबसे ज्यादा डिमांडिंग स्टार माने जाते थे अशोक कुमार, जिन्होंने बतौर हीरो कई फिल्मों में भूमिकाएं निभाईं. उम्र बढ़ने के बाद उन्होंने कैरेक्टर रोल में भी जान डाल दी.

बॉलीवुड के सुनहरे दौर में गांगुली खानदान का काफी दबदबा रहा. अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर में हुआ था. कम ही लोग इस बारे में जानते हैं कि बिहार के मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में जन्मे एक्टर का असली नाम अशोक कुमार नहीं बल्कि कुमुदलाल गांगुली था.

फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर अशोक कुमार रख लिया. पिता कुंजलाल गांगुली बंगाल के प्रसिद्ध वकीलों में से एक थे.

बॉलीवुड को अपनी शानदार एक्टिंग का नायाब तोहफा देने वाले अशोक कुमार की ज़िन्दगी के बारे में कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे सभी अनजान हैं. आज हम आपके साथ उनसे जुड़ी कुछ खास बातें इस आर्टिकल में शेयर करेंगे.

अशोक कुमार का फिल्मी सफ़र:

अशोक कुमार की अदाकारी में वो जादू था कि फिल्मों में उनके अभिनय को देखकर ऐसा लगता जैसे वो अपने किरदार को ही जी रहे हों. सपना तो फिल्म डायरेक्टर बनने का था. लिहाज़ा अपनी बहन से मिलने मुंबई चले आये. मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था. यहाँ आने के बाद 'बॉम्बे टॉकीज' में बतौर लैब असिटेंट काम करना शुरू किया.

अशोक कुमार के फ़िल्मी सफर की शुरुआत किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. 1936 में 'बॉम्बे टॉकीज' स्टूडियो की फ़िल्म 'जीवन नैया' के अभिनेता अचानक बीमार हो गए और कंपनी को नए कलाकार की तलाश थी. तभी स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय की नज़र अशोक कुमार पर पड़ी.

बस यहीं से शुरूआत हुई उनके फ़िल्मी सफ़र की. उनकी अगली 1937 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘अछूत कन्या’ बेहद कामयाब रही. इस फिल्म ने दादा मुनि को बड़े सितारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.इस तरह अशोक कुमार डायरेक्टर बनते बनते एक्टर बन गए.

अशोक कुमार के रॉबिनहुड पूर्वज:

लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके पूर्वज रॉबिनहुड (डाकू) थे? जी हाँ आपने बिल्कुल सही पढ़ा.अपने एक इंटरव्यू में अशोक कुमार ने खुद इस बात का खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि करीब डेढ़ सौ साल पहले उनके पुरखे बंगाल में रहते थे और अमीरों से लूटा माल गरीबों में बांट दिया करते थे. इस वजह से लोग उन्हें पसंद करते थे. यहाँ तक कि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने भी अपनी एक किताब में उनके पूर्वजों के बारे में ज़िक्र भी किया है. उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर का लिखा हुआ अंश भी उस इंटरव्यू में पढ़कर सुनाया था.

अशोक कुमार ना सिर्फ एक बेहतरीन चित्रकार, शतरंज खिलाड़ी, एक होम्योपैथ बल्कि कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे. उन्होंने कई फ़िल्मों में अपनी आवाज़ में गाने भी गाए. भारत के पहले सोप ओपेरा 'हम लोग' में उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई. फिल्म जगत में उनके कार्यों और योगदान को देखते हुए साल 1988 में उन्हें 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार' और 1999 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया.

अशोक कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी. उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सफलता के लिए कोई भी रास्ता गलत नहीं होता. यदि आप मेहनत और लगन से काम करें तो आप अपनी मंज़िल ज़रूर हासिल कर सकते हैं.

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