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BANGLADESH:कौन हैं बंग बंधु जिनके परिवार का हुआ था कत्लेआम!
News Date:- 2024-08-06
BANGLADESH:कौन हैं बंग बंधु जिनके परिवार का हुआ था कत्लेआम!
Peeyush tripathi

,06 Aug 2024

यह तो सभी को पता है कि जब 1947 में आजादी के साथ हमारे देश का विभाजन हुआ तो देश के दो हिस्से हो गए भारत और पाकिस्तान। पाकिस्तान के दो भाग थे एक तो पाकिस्तान का वह इलाका जिसमें पंजाब , सिंध, बलूचिस्तान आदि सूबे थे जिसकी सीमा भारत के पंजाब, राजस्थान और जम्मू कश्मीर से मिलती है और दूसरा पूर्वी पाकिस्तान जो कि पूर्वी बंगाल का इलाका था। पूर्वी बंगाल का यह इलाका जमींदारों के शोषण से त्रस्त था जिसके खिलाफ 1950 में यहां बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। 1952 के बांग्ला भाषा आंदोलन के साथ जुड़कर यह बांग्लादेशी गणतंत्र की दिशा में बढ़ता हुआ एक बड़ा आंदोलन बना। इसी आंदोलन के फलस्वरूप बांग्ला भाषियों को उनका भाषाई अधिकार मिला। 1955 में पाकिस्तान सरकार ने पूर्वी बंगाल का नाम बदलकर पूर्वी पाकिस्तान कर दिया। यहीं से पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के दमन की शुरुआत हो गई। पाकिस्तानी शासक याहया खान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में अवामी लीग और उसके नेताओं को परेशान कर शुरू कर दिया जिसके फलस्वरूप शेख मुजीबुर्रहमान की अगुआई में बांग्लादेश स्वाधीनता आन्दोलन की शुरुआत हो गई। आन्दोलन कारियों ने शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया घोषित कर दिया जबकि वह पश्चिमी पाकिस्तान की जेल में बंद थे। बांग्लादेश में खून की नदियां बहने लगीं। लाखों लोग मारे गए । दस लाख से ज्यादा बांग्लादेशियों ने भारत में शरण ली।बांग्लादेशियों के अनुरोध पर भारत को इस समस्या में हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके फलस्वरूप 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया। बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी का गठन हुआ। भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी की सहायता की। अंतत: 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया और लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया गया । बांग्लादेश अब एक आजाद मुल्क बन चुका था जिसके पहले राष्ट्रपति बने शेख मुजीबुर्रहमान जो 1972 में बांग्लादेश बनने के बाद रिहा किए गए। जो सम्मान भारत में महात्मा गांधी को दिया जाता है वही सम्मान बांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान को दिया जाता है और आदर से लोग उन्हें बंग बंधु कहते हैं।

हांलाकि 1975 आते-आते बांग्लादेश की स्थिति खराब होने लगी। देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी और मुजीबुर्रहमान से जुड़े लोग सत्ता का फायदा उठाने में जुट गए। राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक समस्याएं और सत्तावादी शासन ने बगावत की आग को हवा दी। गरीबी, बेरोजगारी और खाद्य संकट ने आम लोगों की स्थिति और खराब कर दी। इन समस्याओं से निपटने में सरकार की असमर्थता के कारण आम लोगों में असंतोष बढ़ रहा था। जनता के साथ-साथ सेना के एक वर्ग में भी असंतोष बढ़ रहा था। सेना के जवानों को लग रहा था कि उनकी भूमिका और बलिदान को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। इससे राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का माहौल बढ़ता गया। 15 अगस्त 1975 को सेना के कुछ गुटों ने बगावत कर दी और शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार सहित हत्या कर दी। इस हत्याकांड में शेख मुजीबुर्रहमान की पत्नी , तीन बेटे , दो बहुएं और परिवार के अन्य सदस्य भी मारे गए।

उस समय शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी और अभी तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही शेख हसीना अपने पति के साथ जर्मनी में थीं जो एक न्यूक्लीयर साईंटिस्ट थे। शेख हसीना के साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी थीं। दोनों बहनें बाद में लंदन के रास्ते भारत आ गईं और छह वर्ष तक यहीं रहीं ।

शेख मुजीबुर्रहमान की मौत के बाद बांग्लादेश में तख्ता पलट हो गया । तत्कालीन सैन्य प्रमुख को भी हटा दिया गया और जियाउर्रहमान को सैन्य प्रमुख बनाया गया । नवंबर 1975 में जियाउर्रहमान ने एक बार फिर तख्ता पलट किया और देश के राष्ट्रपति बन बैठे। जियाउर्रहमान ने बाद में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 1981 में सैन्य बगावत के दौरान चिटगांव में जियाउर्रहमान की हत्या कर दी गई। जियाउर्रहमान की मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम खालिदा जिया ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की कमान संभाली। बाद में वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भी बनीं ।

वहीं शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना 1981 में बांग्लादेश पहुंचीं और उन्होंने लोकतंत्र बहाली के लिए आवाज उठाना शुरू किया। वह लगातार संघर्ष करती रहीं । 1991 के चुनावों में उन्हें हार मिली लेकिन 1996 में हुए चुनाव में उन्हें पहली बार जीत मिली और वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं । 2009 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक यानी पिछले पंद्रह वर्षों से देश की प्रधानमंत्री थीं जिन्हें कल देश में हो रहे विद्रोह के कारण इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना के प्रति इस कदर आक्रोश था कि लोग प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुस गए और लूटपाट मचा दी। इतना ही नहीं ...बंग बंधु के नाम से मशहूर उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा को भी नष्ट कर दिया ।  

दूसरी ओर भ्रष्टाचार के आरोप में नजरबंद पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया है। 

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