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हिन्दी सिने जगत की पहली महिला कॉमेडियन टुनटुन (उमा देवी)
News Date:- 2024-05-12
हिन्दी सिने जगत की पहली महिला कॉमेडियन टुनटुन (उमा देवी)
vaishali jauhari

लखनऊ,12 May 2024

हिन्दी सिने जगत की पहली महिला कॉमेडियन टुनटुन (उमा देवी)

जीवन परिचय:

60 के दशक की मशहूर अदाकारा टुनटुन का नाम ज़हन में आते ही एक गोलमटोल सा चेहरा सामने आ जाता है जिसे फ़िल्मी पर्दे पर हमेंशा हँसते और दर्शकों को हँसाते देखा गया। वज़न अधिक होने के बावजूद टुनटुन ने अपने इसी रूप से लोगों को हँसा हँसा कर लोट-पोट कर दिया। हिंदी सिने जगत का ये वो दौर था जब ऐसा कहा जाता कि जिस फिल्म में टुनटुन हैं उस फिल्म में कॉमेडी का भरपूर तड़का मिलेगा और ये सच भी था।

लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि फिल्मी पर्दे पर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाली टुनटुन की असल जिंदगी दर्द से भरी थी। बचपन में मां-बाप का साया सर से उठ जाना, दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना। टुनटुन ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जीवन से हार नहीं मानी और अपने दम पर अपना नाम और अपनी पहचान बनाई।

11 जुलाई 1930 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मीं टुनटुन का असल नाम उमा देवी खत्री था। बचपन से ही संगीत से बेहद लगाव था। लिहाज़ा रेडियो पर अक्सर गाने सुनतीं और रियाज़ किया करतीं। टुनटुन की दिली तमन्ना थी कि मुंबई जाकर गायकी में अपना करियर बनाएं। उस दौर में जहाँ लड़कियों का पढ़ना मुश्किल काम था तो गायिका बनना तो दूर की बात थी। लेकिन उनके किस्मत के सितारे इतने बुलंद थे कि बॉलीवुड के पर्दे पर चमकना लिखा था।

गायिका बनने का सफ़र:

उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट तब शुरू हुआ जब एक दिन उनकी मुलाकात अख्तर अब्बास काजी से हुई। ये वो शख्स थे जिन्होंने टुनटुन की गायकी के हुनुर को पहचाना। लेकिन संघर्ष अब भी जारी था। इसी बीच मुंबई में कुछ वक्त बिताने के बाद टुनटुन की दोस्ती डायरेक्टर अरुण कुमार आहूजा और उनकी पत्नी गायिका निर्मला देवी से हुई जो एक्टर गोविंदा के माता-पिता थे। जिन्होंने कई फिल्म डायरेक्टर्स से टुनटुन की मुलाकात करवाई और इस तरह शुरुआत हुई उनके संगीत के सफर की।

हमेंशा से ही बेबाक, बिंदास और मासूम व्यक्तित्व वाली अदाकारा टुनटुन यानि उमा देवी की आवाज़ से संगीतकार नौशाद साहब बहुत प्रभावित हुए और उनको तुरंत काम दे दिया। टुनटुन ने ‘अफसाना लिख रही हूं दिल-ए-बेकरार का’ गाने से अपने संगीत करियर की शुरुआत की। गीत ज़बरदस्त हिट हुआ इसके बाद तो वो रातों-रात बड़ी स्टार बन गईं।

उमा देवी से बदलकर टुनटुन नाम रखने की रोचक कहानी:

1950 की में रिलीज़ फिल्म बाबुल, टुनटुन की एक्टिंग डेब्यू फिल्म थी। फिल्म में उन्हें दिलीप कुमार के साथ अभिनय करने का मौक़ा मिला। फिल्म में एक सीन था जहां दिलीप कुमार से टुनटुन टकरा जाती हैं और दोनों एक साथ गिर जाते हैं। शूटिंग के दौरान टुनटुन के गिर जाने पर दिलीप कुमार कहते हैं ‘कोई उठाओ इस टुनटन को’। बस क्या था दिलीप कुमार के मुंह से निकला ये नाम उन्हें इतना पसंद आया कि  अपना नाम उमा देवी से बदलकर टुनटुन ही रख लिया। उस वक्त इस बात का किसी को भी अंदाज़ा तक नहीं था कि टुनटुन नाम से ही आगे चलकर सिने जगत में वो इतना नाम कमाएंगी और अपनी अलग पहचान बनाएंगी।

दिन पर दिन टुनटुन सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। उस दौर के फिल्म डायरेक्टर्स फीमले कॉमेडियन के लिए सिर्फ और सिर्फ टुनटुन को ही लेना पसंद करते थे। कड़ी मेहनत और जानदार एक्टिंग के दम पर वो भारत की पहली महिला कॉमेडियन बन गईं। आलम ये था कि उस दौर की फिल्मों में खासतौर पर उनके लिए रोल लिखे जाते थे। उस दौर के सभी मशहूर ऐक्टर्स के साथ टुनटुन ने फिल्मों में काम किया और अपने पांच दशक के करियर में करीब 200 फिल्मों में अपनी कमाल की एक्टिंग और कॉमेडी का लोहा मनवाया।

इंडस्ट्री और एक्टिंग से दूरी:

ताउम्र दर्शकों को हंसा-हंसा कर लोटपोट करने वाली अदाकारा टुनटुन के लिए दर्शकों का बेशुमार प्यार ही किसी सम्मान से कम नहीं था। 90 का दशक आते-आते उन्होंने धीरे धीरे फिल्मों से दूरी बना ली। 24 नवंबर, 2003 का वो दिन जब लंबे समय तक गंभीर बीमारी से जूझने के बाद 80 साल की उम्र में उन्होंने सिने जगत को अलविदा कह दिया। पूरी दुनिया को हंसाने वाली टुनटुन हमसबको रुला गईं। 
 

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