
स्वास्थ्य के लिए संजीवनी बूटी: शीशम
शीशम का वृक्ष अपनी मज़बूत लकड़ी और छायादार पत्तों के लिए जाना जाता है। शीशम की लकड़ी का प्रयोग जहाँ भवनों और फर्नीचर के निर्माण में किया जाता है। वहीं शीशम के वृक्ष की लकड़ी और बीजों से तेल निकाला जाता है जिसका औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शीशम का वृक्ष, पत्ते, बीज और छाल सभी अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं ?
आयुर्वेद में हज़ारों सालों से इस्तेमाल किए जाने वाले शीशम के पत्ते, बीज, छाल से कई बीमारियों का इलाज किया जाता था। शीशम का वर्णन आयुर्वेद के आदि ज्ञाता और सप्तर्षि विश्वामित्र के पुत्र महर्षि सुश्रुत रचित “सुश्रुत संहिता” में मिलता है। उन्होंने औषधीय गुणों से भरपूर शीशम का वर्णन सुश्रुत संहिता के सूत्रस्थान खण्ड के “द्रव्यसंग्रहणीयम् अध्यायं” 'अध्याय-38' में किया है। जहाँ इसे शिंशिपा नाम से सम्बोधित किया गया है।
शीशम का वृक्ष अपने औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में विशेष स्थान रखता है। इसके बीज, छाल तथा पत्तियों का उपयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एन्थेलमाइंटिक गुण होते हैं जो कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक होते हैं। कह सकते हैं कि शीशम का वृक्ष स्वास्थ्य के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है ।
शीशम के अद्भुत औषधीय गुण:
• पानी 320 मिली, दूध 160 मिली और शीशम का सार 20 ग्राम लें। इन सबको मिलाकर दूध में पका लें। जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में तीन बार इसका सेवन करने से किसी भी तरह के बुखार में आराम मिलेगा।
• शीशम के पत्ते, कुछ कचनार के पत्ते और जौ तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। तैयार काढ़े में 10 से 20 मिली. घी और दूध मिला लें। इस काढ़े को रोगी को पिलाने से टीबी रोग ठीक हो सकता है।
• 15 से 30 मिली. शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे सिफलिश और सुजाक जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
• शीशम की 40 ग्राम छाल को 250 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी का एक चौथाई रह जाए तब इसे छानकर फिर से उबालें और काढ़ा बना लें। ठंडा होने पर कपड़े से छान लें और लगातार 21 दिन तक दिन में तीन बार इसका 10-10 ग्राम मिक्सचर दूध के साथ लें। साइटिका में आराम मिलता है।
• शीशम के 8 से 10 पत्ते और 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें और प्रतिदिन सुबह सेवन करें। ल्यूकोरिया की समस्या से निजात मिलेगा।
• हैजा के इलाज में शीशम के पत्ते का सेवन किसी चमत्कार से कम नहीं है। 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम मरिच, 1 ग्राम पिप्पली तथा 500 मिग्रा. इलायची मिलाएं। इसे पीसकर 500 मिग्रा. की गोली बना लें। दो-दो गोली सुबह और शाम लेने से हैजा जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
• आंखों में दर्द है या जलन हो रही है तो शीशम के पत्ते के रस में मधु मिला लें और सेवन करें। आराम मिलेगा।
• रक्त-विकार को दूर करने और रक्त संचार सुचारू रखने के लिए शीशम के 500 ग्राम बुरादे को डेढ़ लीटर पानी में भिगोकर उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए तो छानकर 750 ग्राम बूरा डालकर शर्बत बना लें। इस शरबत का सेवन करने से ब्लड डिसऑर्डर की समस्या में राहत मिलती है।
• शीशम का बीज हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे खाने से कैल्शियम की कमी पूरी होती है। जिससे हड्डियों को ताकत मिलती है। ये मसल्स प्रॉब्लम को भी खत्म करता है।
• स्किन पर खुजली, ड्राईनेस या किसी प्रकार की स्किन डिज़ीज़ है तो शीशम के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिलाकर त्वचा पर लगायें। इसमें एन्थेलमाइंटिक गुण होते हैं जो जल्दी ही आराम पहुचायेंगे।
• शरीर में यदि जलन की शिकायत रहती है तो शीशम का तेल लगाने से शरीर की जलन में आराम मिलेगा।
शीशम का वृक्ष, पत्ते, बीज और छाल प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनमोल उपहार है। इनके पत्तों का शरबत पीने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसके पत्तों का रस पीने से ओरल हेल्थ में सुधार होता है। मुंह से बदबू आती या दांतों में दर्द है, मसूड़ों में सूजन है तो इस तरह की समस्याओं के लिए शीशम रामबाण है।
आश्चर्यजनक फायदों से भरपूर शीशम का वृक्ष, इसके पत्ते, बीज और छाल आपके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। शीशम शरीर की देखभाल करने का एक प्राकृतिक और सस्ता इलाज है।
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