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कुदरत का करिश्मा: सिंदूर का पौधा
News Date:- 2024-06-22
कुदरत का करिश्मा: सिंदूर का पौधा
vaishali jauhari

लखनऊ,22 Jun 2024

केमि‍कल नहीं बल्कि कुदरत का करिश्‍मा है सिंदूर का पौधा

भारतीय संस्कृति में सिंदूर का बड़ा महत्व है और सुहागिन महिलायें हर रोज सिंदूर का इस्तेमाल करती हैं. हममें से अधिकतर लोग जानते हैं कि सिंदूर, चूना और हल्दी के मिक्सचर के साथ मरकरी को मिलाने से बनता है. लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि सिंदूर का एक पौधा भी होता है. आज हम बतायेंगे सिंदूर के पौधे के बारे में. जो केमि‍कल नहीं बल्कि कुदरत का करिश्‍मा है.

पुराने समय में जब सिंदूर नहीं था तो उस समय प्रकृति में एक ऐसा पौधा हुआ करता था जिसके फल के बीज से निकलने वाले लाल रंग का इस्तेमाल पुराने समय की महिलायें सिंदूर के रूप में किया करती थीं. सिंदूर का पौधा जिसे अंग्रेजी में कमीला ट्री या कुमकुम ट्री भी कहा जाता है.

सामान्य सा दिखने वाला यह सिंदूर का पौधा, इसमें जो फल निकलते हैं उन फलों के बीज को हाथ से छूते ही प्राकृतिक रंग की वजह से हाथ लाल हो जाता है. इसे कई लोग लिक्विड लिप्स्टिक ट्री भी कहते हैं यही वजह है कि महिलायें इस पौधे के बीज का प्रयोग सिंदूर और लिपस्टिक के रूप में भी करती रही हैं.

किन स्थानों में उगाया जाता है सिंदूर का पौधा?

सिंदूर का पौधा दक्षिणी अमेरिका के साथ-साथ कुछ एशियाई देशों में भी उगाया जाता है. बात करें भारत देश की तो यह पौधा महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ गिने-चुने इलाकों में ही व्यवसायिक तौर पर उगाया जाता है. उत्तर प्रदेश में यह पौधा बहुत कम देखने को मिलेगा. लखनऊ के ‘नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के बाग में भी यह पौधा मौजूद है.

सिंदूर का पौधा आसानी से देखने को नहीं मिलता. इसके एक पौधे में से एक बार में ‘एक से डेढ़ किलो’ तक सिंदूर फल निकल सकता है. जिसकी कीमत 400 रूपए प्रति किलो से ज्यादा होती है. कमीला यानि सिन्दूर के पेड़ की ऊंचाई 20 से 25 फीट तक हो सकती है और इसके पेड़ का फैलाव अमरूद के पेड़ जितना ही होता है. शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने इस पौधे को बहुत ही गुणकारी बताया है.

सिंदूर के पौधे से किस तरह बनता है सिंदूर?

सिंदूर के पेड़ पर फल गुच्छों में लगते हैं जो शुरू में तो हरा रंग लिए होते हैं लेकिन बाद में इन फलों का रंग लाल हो जाता है और इन्हीं फलों के अंदर ही बीज के रूप में मौजूद होता है सिंदूर. जिन्हें पीसकर सिंदूर बनाया जाता है जो कि सौ प्रतिशत शुद्ध होता है साथ ही इस नेचुरल सिंदूर का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.

सिंदूर का प्रयोग उच्च श्रेणी की लिपस्टिक बनाने में भी किया जाता है. लिपस्टिक के अलावा हेयर डाई, नेल पॉलिश जैसे कई सौन्दर्य प्रसाधन बनाने और कमर्शियल यूज़ में रेड इंक बनाने, पेंट बनाने और साबुन बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. सामान्यतः सिंदूर के पौधे के औषधीय महत्व भी देखे जा सकते हैं. माना जाता है कि इसके बीज और जड़ से कुछ तरह की दवाईयाँ भी बनायी जाती हैं. सिंदूर के पौधे का साइंटिफिक नाम 'बिक्सा ओरेलाना' है.

सिंदूर के पौधे को कैसे लगाया जा सकता है?

इसे लगाने के दो तरीके होते हैं. एक तो इसे बीज की मदद से लगाया जा सकता है और दूसरा इसके तैयार पौधे की कलम बनाकर भी इसे लगाया जा सकता है. लेकिन इसे उगाना इतना आसान नहीं क्योंकि इसके लिए आवश्यकता होती है एक निश्चित जलवायु की. अगर आपने ज्यादा पानी या खाद दे दिया तो ये पौधा मर सकता है और अगर कम दिया तो इसमें फल नहीं आयेंगे. इसे प्रॉपर धूप और पानी की ज़रुरत होती है. सिंदूर के पेड़ में फल आने में लगभग तीन साल का लम्बा वक्त लगता है.

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